स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा कि भारत में प्रति 10 लाख की आबादी पर कोरोना मामलों की संख्या सबसे कम है. भारत में 10 लाख की आबादी पर कोरोना के मामले 7178 हैं
नई दिल्ली:- कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus) को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Ministry of Health) और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने मंगलवार को संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा कि भारत में प्रति 10 लाख की आबादी पर कोरोना मामलों की संख्या सबसे कम है. भारत में 10 लाख की आबादी पर कोरोना के मामले 7178 हैं. जबकि प्रति 10 लाख आबादी का वैश्विक औसत 9000 है. राजेश भूषण ने कहा कि कोरोना टीका लगने के बाद इसके प्रतिकूल प्रभाव की घटनाएं भी सामने आ सकती हैं. जिसके लिए राज्यों को तैयार रहना चाहिए.
स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव ने कहा कि कोरोना वैक्सीन को लेकर लगातार तैयारियां की जा रही हैं. टीकाकरण के लिए 29 हजार कोल्ड चेन प्वाइंट, 240 वॉक-इन कूलर, 70 वॉक-इन फ्रीजर, 45 हजार आइस-लाइन्ड रेफ्रिजरेटर, 41 हजार डीप फ्रीजर और 300 सोलर रेफ्रिजरेटर का इस्तेमाल होगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों के पास पहले ही ये उपकरण पहुंच चुके हैं
प्रतिकूल घटनाओं के लिए पहले से ही तैयार रहें राज्य
वैक्सीन के प्रतिकूल प्रभाव पर राजेश भूषण ने कहा कि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है. जब हम एक सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम करते हैं, जो दशकों से किया जाता है, तो टीकाकरण के बाद बच्चों और गर्भवती महिलाओं में कुछ प्रतिकूल प्रभाव देखे जाते हैं. वैसे ही जब हम कोरोना का टीकाकरण करेंगे तब भी ऐसे प्रतिकूल प्रभाव से इनकार नहीं कर सकते. जिन देशों में टीकाकरण पहले ही शुरू हो चुका है वहां पर ऐसी घटनाएं देखी गईं. ब्रिटेन में पहले दिन कई प्रतिकूल घटनाएं हुईं. इसलिए केंद्र और राज्य सरकार इसके लिए पहले से ही तैयारी कर लें.
देश की एक और वैक्सीन को मिली क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने कहा, ‘हम यह देखकर खुश हैं कि दिल्ली में कोरोना की स्थिति बेहतर हुई है. हम दिल्ली सरकार और अन्य सरकारों को बधाई देते हैं जिन्होंने इस महामारी की रोकथाम में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.’ उन्होंने कहा कि इस हफ्ते ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने भारत की एक और संभावित वैक्सीन को क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति प्रदान की है. इस वैक्सीन को जेनोआ कंपनी ने रिसर्च एजेंसी डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की मदद से तैयार की है. फाइजर की वैक्सीन को बनाने की तकनीक को इस वैक्सीन में भी इस्तेमाल किया गया है.
डॉक्टर वीके पॉल ने कहा कि कोरोना को लेकर कुछ राज्यों ने अभी भी चिंता बढ़ा रखी है. हम हिमाचल प्रदेश, नगालैंड और उत्तराखंड के लोगों से अनुरोध करते हैं कि वह कोरोना पर काबू पाने के लिए हर संभव कोशिश करें.
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